जीवन में सफल कैसे बने ? सफल होने के आसान तरीके

जीवन में सफल कैसे बने कार्यकुशलता एवं समय का प्रबंधन । जो इस रहस्य को जानते हैं , वे सफलता के शिखर तक पहुँचते हैं , परंतु इससे अनभिज्ञ एवं इस क्षेत्र को नजरअंदाज करने वाले अथक श्रम के बावजूद असफल होते देखे जाते हैं । सफलता कोई अलादीन का चिराग नहीं है कि जो चाहे मिल गया और जब चाहे हाजिर हो गया । यह कुशलतापूर्वक , आत्मविश्वास एवं कमिटमेंट ( समर्पण ) तथा समय को ध्यान में रखकर किए जाने वाले कार्य का परिणाम है ।
सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए , जिनमें सबसे पहले लक्ष्य पर नजर रखनी चाहिए ।
अपना लक्ष्य पसंद करे
सर्वप्रथम अपना लक्ष्य तैयार करना चाहिए । लक्ष्य बेशक बड़ा हो , परंतु उसे प्राप्त करने के लिए छोटे – छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए ।
लक्ष्य को क्रमशः बड़ा बनाना चाहिए और इसके लिए एक योजना की जरूरत पड़ती है , जिसे अपनी डायरी में लिख लेना चाहिए , ताकि छोटी परंतु आवश्यक बातें छूट न जाएँ ।
यदि इन सबके बावजूद कार्य की दिशा में कोई वांछित सफलता नहीं मिल रही हो , तो कार्य करने के तरीके में बदलाव लाना चाहिए । असफलता हमारे मन – मस्तिष्क को निराशा से भर देती है । अतः बीती एवं कडुई बातों पर अधिक सोच – विचार करने की अपेक्षा वर्तमान क्षण को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहिए ।
सकरात्मक सोचे
सकारात्मक सोच – सकारात्मक सोच से लक्ष्य का आधा भाग तय कर लिया जाता है । देखने का नजरिया हमारी सफलता और असफलता का दिशा निर्धारण करता है । सफलता की राह में आने वाली हर बाधा से जो समस्या पैदा होती है और समस्या के कारण जो निराशा , हताशा उत्पन्न होती है , उसके निराकरण एवं समाधान में सकारात्मक सोच ही एकमात्र सहायक होती है । हम चीजों को जैसे देखते हैं , वे हमारे लिए वैसी ही बन जाती हैं ।
अगर चीजों को अपने अनुकूल देखना हो तो उन्हें सही नजर एवं विश्लेषण की दृष्टि से देखना चाहिए ; अन्यथा नकारात्मक दृष्टि बताती है कि हमारी किस्मत कितनी खराब है और हम संसार में कितने अक्षम एवं असमर्थ व्यक्ति हैं । सही सोच न केवल पर्सनल जीवन में , बल्कि प्रोफेशनल जीवन में भी सफलता का मापदंड तय करती है । सकारात्मक सोच से समय के प्रबंधन का संबंध भी जुड़ा हुआ है । काम को निश्चित समय एवं अवधि के अंदर पूरा करने की आदत डालनी चाहिए । समय पर किया गया कार्य हमारे अनुशासन को दरसाता है ।
अनुशासन और समय प्रबंधन के साथ कार्य करे
अनुशासन और समय प्रबंधन का गहरा संबंध है । अनुशासित जीवनपद्धति सबसे पहले समय का ध्यान रखती है । समय की बड़ी महत्ता है । समय के साथ कार्य को अंजाम देना चाहिए । इससे औरों के समय का भी सम्मान होता है ; क्योंकि हम अकेले नहीं हैं किसी कार्य को करने में , हमारे साथ और भी जुड़े होते हैं ।
हम यदि अपने कार्य को उचित ढंग से निश्चित समय में पूरा करते हैं तो हमारे साथ काम करने वालों का भी समय बचता है ।
अतः हमें टाल मटोल न करते हुए एवं आज के कार्य को कल पर न डालकर , आज ही पूरा करना आना चाहिए । समय के साथ काम को अंजाम देना एक चुनौती है , पर चुनौती लक्ष्य के साथ सदैव जुड़ी रहती है ।
पीछे मुड़कर कभी न देखे
लक्ष्य के लिए चल पड़े हो तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए । आगे की ओर आने वाली हर कठिनाई का डटकर सामना करना चाहिए । पीठ दिखाने वाले कायर कहलाते हैं और उनका ऐसा व्यक्ति अप्रामाणिक कहलाता है । उस पर कोई विश्वास नहीं करता और अंततः उसे असफलता ही हाथ लगती है । हालाँकि कमिटमेंट करके उसे अंत तक निभाना बड़ा कठिन काम है , परंतु यदि वचन दिया है तो फिर उसे निभाना चाहिए ।
अपने जैसा बनिए दुसरो से सिर्फ सीखिए
हमें अपने जैसा बनना चाहिए , किसी और जैसा नहीं । मौलिक क्षमता यदि प्रबल हो तो हम उसी के अनुरूप प्रतिष्ठित एवं सम्मानित हो सकते हैं । ऐसा व्यक्ति जो अपनी मौलिकता को बढ़ा लेता है , उसका व्यक्तित्व बड़ा ही आकर्षक होता है । उसके अंदर एक चुंबकीय गुण पैदा हो जाता है । वह सफलता को आकर्षित कर लेता है और अंत में वह अनेक उपलब्धियों को हस्तगत कर लेता है ।
सफलता एक योजना है , जिसे चरणबद्ध ढंग से सुनियोजित तरीके से पूरा किया जाता है । उपर्युक्त ढंग से यदि कार्य किया जाए तो सफलता अवश्य ही उपलब्ध होगी । फिर हम असफलता का रोना नहीं रोएँगे और निराशा – हताशा के गर्त में नहीं पहुंचेंगे ।
सफलता के लिए इस योजना को क्रियान्वित करना चाहिए । यदि फिर भी असफलता मिलती है , तो उसके पीछे के कारणों को ढूँढ़कर उनका निराकरण करते हुए परिवर्तित योजनापूर्वक फिर से ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए । इससे सफलता अवश्य प्राप्त होगी ।
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