
आइजक न्यूटन की जीवनी – Isaac Newton Biography in Hindi
Isaac Newton Biography in Hindi नमस्कार दोस्तों आज हम आपके साथ दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिको में अपना नाम शामिल करने वाले सर आइजक न्यूटन के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है ,
आइजक न्यूटन की जीवनी – Isaac Newton Biography in Hindi
वर्तमान वैज्ञानिक युग के अग्रणी न्यूटन ( जन्म 1642 ) प्रथम श्रेणी के व्यक्ति थे । वे इंग्लैंड के एक सामान्य किसान के घर में पैदा हुए और बचपन में ही पिता का देहांत हो जाने के कारण उनकी शिक्षा – दीक्षा भी ठीक तरह नहीं हो सकी , तो भी अपनी लगन और प्रतिभा के बल से उन्होंने उच्चकोटि का ज्ञान अर्जित किया और उसका उपयोग दूसरों को अज्ञान अंधकार में से निकालने के लिए किया ।
उनकी मान्यता थी कि विद्यादान ही सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण दान है । संपत्ति या उसके द्वारा दिए जाने वाले दान तो बहुत थोड़े समय तक ही काम देते हैं , पर विद्या और ज्ञान का दान ऐसा है , जो दाता और ग्रहीता , दोनों का उद्धार कर देता है ।
सर आइजक न्यूटन की शिक्षा – Education of Sir Isaac Newton
बचपन में न्यूटन गाँव के स्कूल में पढ़ने को बिठाए गए , पर पढ़ने में वे पिछड़े सिद्ध हुए । उनका मन तरह – तरह के खेलने के यंत्र बनाने में अधिक लगता था ।
उनके पड़ोस में एक हवाचक्की थी ; उन्होंने भी उसकी नकल पर वैसा ही खिलौना बना दिया । उन्होंने एक जलघड़ी भी बनाई , जो ठीक समय दिया करती थी । आगे चलकर वे पढ़ने में भी परिश्रम करने लगे और उनकी गिनती तेज लड़कों में होने लगी ।
चौदह वर्ष की अवस्था में घर की परिस्थिति को देखते हुए उनकी माँ ने उन्हें किसानी का काम सिखाने की व्यवस्था की , जिससे वे जल्दी कमाकर परिवार की सहायता के लायक बन जाएँ , पर न्यूटन की रुचि विज्ञान की तरफ थी और वे उसके अध्ययन एवं मनन में संलग्न रहा करते थे ।
बाईस वर्ष की आयु में न्यूटन ने कैंब्रिज में बी ० ए ० की परीक्षा दी । उसी वर्ष लंदन में इतना भयंकर प्लेग फैला कि कुछ ही दिनों में पचास – साठ हजार व्यक्ति मर गए । यह देखकर कॉलेजों की छुट्टी कर दी गई । न्यूटन को दो वर्ष तक घर पर ही रहना पड़ा ।
न्यूटन की खोज गुरुत्वाकर्षण – Discover Of Gravity
इस अवकाश के समय का उपयोग उन्होंने वैज्ञानिक विषयों की खोज में किया और संसार को नया ज्ञान देकर विचार – क्रांति का श्रीगणेश करने वाले सिद्धांत खोज निकाले ।
उनका सबसे पहला और महान आविष्कार ‘ गुरुत्वाकर्षण का था । प्रसिद्ध है कि एक दिन न्यूटन अपने घर के बगीचे में बैठे थे कि अकस्मात एक सेब का फल टूटकर उनके ऊपर गिर पड़ा ।
उसी समय उनके दिमाग में यह प्रश्न उठा कि यह सेब नीचे ही क्यों गिरा ? ऊपर की तरफ क्यों नहीं चला गया ? यों तो हम सभी प्रतिदिन फलों को पेड़ों से गिरते देखते हैं , पर कोई इस बात पर गंभीरतापूर्वक सोचने का कष्ट नहीं उठाता कि ऐसा होने का कारण क्या है ? पर ज्ञानोपासक न्यूटन का ध्यान एकाएक इस तरफ गया कि पृथ्वी में ऐसी कोई शक्ति अंतर्निहित है ,
जो प्रत्येक पदार्थ को अपनी ओर खींचती है । यद्यपि इसके पहले भी लोग कभी – कभी आकर्षण शक्ति ‘ का नाम लिया करते थे , पर उसका स्वरूप और नियम क्या है ; इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था । न्यूटन ने इस समस्या पर पर्याप्त विचार करके यह निष्कर्ष निकाला कि पृथ्वी ही नहीं , प्रत्येक आकाशस्थ पिंड में यह शक्ति मौजूद है ।
जो पिंड जितना बड़ा है ; उसमें यह शक्ति उतनी ही अधिक है और दूसरे छोटे पिंड को प्रभावित करती है । जिस प्रकार पृथ्वी की आकर्षण शक्ति वृक्ष में लगे फल को अपनी ओर खींचती है ; उसी तरह वह चंद्रमा को भी खींचती रहती है और इसी कारण वह अंतरिक्ष में टिका है ।
न्यूटन की महत्वपूर्ण खोजे
सूर्य सबसे बड़ा पिंड है ; इसलिए वह पृथ्वी तथा अन्य सब ग्रहों को अंतरिक्ष में एक कक्षा पर टिकाए रहने का मूल आधार है । इस प्रकार न्यूटन ने सृष्टि की रचना समझकर और गणित द्वारा उसके नियम स्थिर करके खगोल विज्ञान की इतनी वृद्धि की कि मनुष्य समस्त ग्रहों और उपग्रहों की गति को समझने में समर्थ हो सका ।
उसे यह भी विदित हो गया कि आकाश में ये करोड़ों – अरबों विशाल पिंड और ब्रह्मांड गुरुत्वाकर्षण की इस अदृश्य जंजीर द्वारा ही एकदूसरे को खींचते हुए अपनी – अपनी कक्षा में स्थिर हैं और एकदूसरे से टकराकर नष्ट नहीं हो जाते हैं ।
यद्यपि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत बड़ा जटिल है और उसके प्रत्यक्ष परिणामों को देखते हुए भी उसके स्वरूप की ठीक – ठीक व्याख्या करना अभी तक संभव नहीं हो सका है , पर तब भी मनुष्य अपने दैनिक जीवन में न्यूटन के आविष्कारों से बहुत लाभ उठा रहा है ।
आज भूमंडल पर जितने तीव्रगति के वाहन मोटरें , वायुयान , अंतरिक्षयान चल रहे हैं ; उन सबमें गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को काम में लाने की आवश्यकता पड़ती है ।
आज मनुष्य जो चंद्रमा तक पर अपने यानों को उतारने में सफल हो रहा है , तो उसका आधार न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण संबंधी सिद्धांत ही है ।
न्यूटन ने दूसरा बड़ा आविष्कार प्रकाश के संबंध में किया । उसने सिद्ध किया कि सूर्य की किरणें एक रंग की नहीं , वरन उनमें सात रंग मिले हैं और सब मिलकर श्वेत रंग का प्रकाश उत्पन्न कर देती हैं ।
उसके इस सिद्धांत ने आगे चलकर दूरवर्ती तारागणों की बनावट और उनके तत्त्वों का ज्ञान प्राप्त करने में बड़ी सहायता की ।
न्यूटन का समस्त जीवन इसी ज्ञानोपासना में व्यतीत हुआ । वे इसमें ऐसे तल्लीन रहते थे कि अपने खान – पान , वस्त्रों आदि की ओर भी कभी ध्यान नहीं देते थे । उन्होंने अपना विवाह संभवतः इसी कारण नहीं किया कि गृहस्थी का झंझट उनकी ज्ञान – साधना में बाधक सिद्ध हो सकता था ।
उन्होंने कभी भी मनोरंजन के साधनों – कला , संगीत , कविता आदि की ओर भी ध्यान नहीं दिया और अपना समस्त जीवन एकमात्र सृष्टि विज्ञान की वास्तविकता को जानने और उससे मानव जाति का ज्ञानवर्द्धन करने में लगा दिया ।
न्यूटन के गति नियम – Newton’s law of motion
पहला गति नियम : यदि कोई वस्तु आराम की अवस्था में है तो वह विराम अवस्था में ही रहेगी और यदि वह समान गति से एक सीधी रेखा में गति कर रही है, तो वह उसी प्रकार गति करेगी, जब तक कि उसकी स्थिति पर कोई बाहरी बल न लगाया जाए। को बदलने। करवाना अर्थात् सभी वस्तुएँ अपनी प्रारंभिक अवस्था को बनाए रखना चाहती हैं।
वस्तुओं की अपनी प्रारंभिक अवस्था (आराम या गति की अवस्था) में अपने आप नहीं बदलने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहा जाता है। इसलिए न्यूटन के पहले नियम को ‘जड़त्व का नियम‘ भी कहा जाता है।
दूसरा नियम: किसी भी पिंड के संवेग परिवर्तन की दर आरोपित बल के समानुपाती होती है और इसकी दिशा (संवेग परिवर्तन की) बल की दिशा के समान होती है। इस संवेग का नियम भी कहा जाता है
तीसरा नियम: ‘हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। ‘यह सोचना महत्वपूर्ण है कि क्रिया और प्रतिक्रिया हर समय दो अलग-अलग वस्तुओं पर लागू होती है।
न्यूटन की प्रमुख किताबे – Books
न्यूटन ने अपना पूरा जीवन ज्ञान अर्जन करने में बिताया उन्होंने कई पुस्तके भी लिखे है , जिनके नाम मैंने निचे दिया है
Method of fluxians
Of Nature Obverse Loss and Process in Vegetation
De motu corporum in jiram
Philosophiae Naturalis Principia Mathematica
Optics
Reports as master in mint
Arrhythmatica univarcellis
The system of the world
Optical lectures
The Chronology of Ancient Kingdoms
Observations on Daniel and De Apocalypse of St. John
न्यूटन का आखिरी जीवन
न्यूटन का मृत्यु 31 March 1727 को केंसिंग्टन, मिडलसेक्स, जर्मनी में हुई थी। न्यूटन एक काफी प्रसिद्ध वैज्ञानिक रहे , आज भी इनके कई नियम वैज्ञानिको के प्रयोगो में काफी सहायक है। आज जितने भी अंतरिक्ष से सम्बंधित हमें जानकारी मिली है , वो न्यूटन के योगदानो के फलस्वरूप ही मिले है। न्यूटन की मृत्यु के बाद उनकी ज्यादाद पर उनके रिश्तेदारों ने अधिकार में ले लिया क्योकि न्यूटन के कोई भी बाल बच्चे नहीं थे उन्होंने कभी शादी नहीं की।
उम्मीद करते है इस लेख से आइजक न्यूटन की जीवनी – Isaac Newton Biography in Hindi को काफी अच्छे से समझा होगा , आशा करते है , आपकी मनोकामना पूर्ण हो
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