
Man Ko Ekagra Kaise Kare – मन को एकाग्र कैसे करे ?

Man Ko Ekagra Kaise Kare मन की शांत , स्थिर एवं एकाग्र अवस्था एक ऐसी स्थिति होती है , जब मन सहज रूप में ग्रहणशील होता है , कम समय में बहुत कुछ सीख जाता है लेकिन इस अवस्था के प्रति जागरुकता के अभाव में अधिकांश लोग , विशेषकर विद्यार्थी इसका समुचित लाभ नहीं ले पाते ।
विद्यार्थियों की प्रायः ही यह शिकायत रहती है कि पढ़ाई में मन नहीं लग रहा , मन एकाग्र नहीं हो पा रहा जबकि मन की इस सहज रूप में ग्रहणशील अवस्था का सदुपयोग कर एकाग्रता समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है ।
Man Ko Ekagra Kaise Kare – मन को एकाग्र कैसे करे ?
मन की एकाग्रता कई कारकों पर निर्भर करती है , जिनका अपना मनोविज्ञान है । इसके कुछ व्यावहारिक सूत्र इस प्रकार से हैं
विषय में रूचि का होना आवश्यक है
एकाग्रता हेतु विषय में रुचि का होना एक महत्त्वपूर्ण कारक है । यदि विषय में रुचि हो , तो सहज रूप में एकाग्रता सधती है । यदि किसी विद्यार्थी की क्रिकेट में बहुत रुचि है , तो उसे अपने लोकप्रिय खिलाड़ी के सारे रिकॉर्ड याद रहते हैं , जबकि वही विद्यार्थी रुचि के अभाव में इतिहास की तिथियों एवं आँकड़ों को याद करने में कठिनाई अनुभव करता है ।
यह विद्यार्थी की रुचि के महत्त्व को दर्शाता है । रुचि को उत्पन्न करने का एक बड़ा कारण विषय की जीवन में उपयोगिता एवं उसके लाभ की समझ है । विषय की उपयोगिता समझ आ जाए तो फिर उसमें रुचि भी पैदा हो जाती है ।
यदि हम बड़ा अधिकारी बनना चाहते हैं , धनलाभ करना चाहते हैं , कोई प्रतिष्ठित स्थान पाना चाहते हैं , या जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं , तो स्वतः ही मन की शक्तियाँ उस दिशा में प्रवाहित हो उठती हैं , विचार करने लगती हैं ।
मानसिक ऊर्जा के उस दिशा में जाने पर उनसे जुड़े विषयों के प्रति स्वतः ही रुचि पैदा हो जाती है लेकिन मात्र भौतिक लाभ की सोच , मन की एकाग्रता एवं दीर्घकालीन सफलता के लिए पर्याप्त नहीं होती , इसके लिए जीवन का उच्च उद्देश्य भी स्पष्ट होना आवश्यक है ।
लक्ष्य का स्पष्ट होना आवश्यक है
एकाग्रता की गहनता एवं व्यापकता जीवन लक्ष्य की गहनता एवं व्यापकता पर निर्भर करती है । यदि जीवन का ध्येय भौतिक लाभ एवं सांसारिक महत्वाकांक्षाओं तक ही सीमित है तो इसके लिए सधी एकाग्रता की एक निश्चित सीमा होगी ,
जो परिस्थितियों के दबाव के आगे कभी भी बिखर सकती है । यह अधिक टिकाऊ हो , इसके लिए जीवन लक्ष्य का श्रेष्ठ एवं अधिक स्पष्ट होना अभीष्ट है ।
अपनी स्वार्थपूर्ति एवं अहंतुष्टि के अतिरिक्त इसका व्यापक जनहित के साथ जुड़ा होना भी जरूरी है । जीवन लक्ष्य जितना उच्च होगा , उतनी ही व्यापकता एवं गहनता में फिर जीवन को समझने एवं साधने का प्रयास होगा और एकाग्रता भी फिर उसी अनुपात में स्थायी एवं स्थिर होगी ।
दिनचर्या को संतुलित होना आवश्यक है
एकाग्रता के लिए दिनचर्या का संतुलित होना आवश्यक है । इसमें शयन , जागरण , श्रम , विश्राम , नींद आदि सभी क्रमबद्ध हों , तो कार्य में मानसिक एकाग्रता सहज रूप से बनी रहती है । इनमें बरती गयी अतिवादिता मानसिक संतुलन को डगमगा देती है ,
जिससे मन का एकाग्र होना कठिन हो जाता है । वास्तव में शरीर के स्वास्थ्य के साथ एकाग्रता का बहुत ही गहरा सम्बन्ध है ।
अतः शरीर को जितना हो सके , उतना स्वस्थ रखने का प्रयास करना चाहिए । उचित श्रम , निद्रा एवं विश्राम का एकाग्रता से गहरा सम्बन्ध है । श्रम जहाँ शरीर को स्वस्थ रखता है , इसके साथ कर्तव्यपालन का संतोष मन को सहज रूप से शांत , स्थिर एवं संतुलित रखता है ।
अथक श्रम के बाद अल्प विश्राम का मिश्रण व्यक्ति को स्फूर्तिवान बनाए रखता है और गहरी नींद तो एक अच्छे टॉनिक का काम करती है और मन को पूर्ण एकाग्रता की अवस्था में ला देती है ।
इसके साथ ही एकाग्रता में बाधक तत्वों का बोध भी आवश्यक है , जिससे कि हम इनको दूर करने का प्रयास कर सकें
अंतिम शब्द
इस लेख में आपको Man Ko Ekagra Kaise Kare – मन को एकाग्र कैसे करे ? इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारिया मिली हमें यकीन है की आप सभी पाठको को यह काफी पसंद होगा
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