नकरात्मक सोच को दूर कैसे करे – नेगेटिव सोच से छुटकारा पाने के तरीके

नकरात्मक सोच को दूर कैसे करे – नेगेटिव सोच से छुटकारा पाने के तरीके

नकारात्मक सोच से छुटकारा कैसे पाए ? नकारात्मक सोच से कैसे बचें ? नकारात्मक विचारों से दूर कैसे रहें? Negative Thinking को दूर कैसे करें ? Negative बुरी सोच से छुटकारा पाने का उपाय? नकारात्मक सोच से छुटकारा पाने के उपाय?



नकरात्मक सोच को दूर कैसे करे – नेगेटिव सोच से छुटकारा पाने के तरीके


तेजी से सबसे आगे बढ़ने और धनवान बनने के लोभ में व्यक्ति खुद से दूर होता जा रहा है । लगातार काम में जुटे रहने से न तो उसे दूसरों की खबर रहती है और न वह खुद का ख्याल रख पाता है । एक अजीब – सा शारीरिक व मानसिक तनाव उसे घेरे रहता है । काम करने का जुनून उसके मन – मस्तिष्क में इस कदर हावी होता है कि वह दुनिया से कटता जाता है ।

अपने काम के अतिरिक्त बाहरी परेशानियों , अनावश्यक चिंताओं के बोझ से वह ऐसे भँवर में फँसता जाता है कि अपने बारे में ठीक से सोच ही नहीं पाता ।

उसकी मासूम मुस्कान , निश्छलता , स्वाभाविकता न जाने कहाँ गुम हो जाती है । बहुत मेहनत करने पर भी यदि उसे परिणाम बहुत थोड़ा या उम्मीद के विपरीत मिलता है तो ऐसा व्यक्ति निराशा के गर्त में डूबने लगता है ; स्वयं को असहाय , महसूस करने लगता है और नकारात्मक सोचने लगता है ।


खुद पर भरोसा करे


खुद पर भरोसा न कर पाना , अपनी प्रतिभा को न तलाशना और दूसरों के अनुभव से न सीखना ही वे कारण हैं , जो व्यक्ति को वांछित दिशा में आगे बढ़ने नहीं देते ।

खुद के प्रति नकारात्मक सोच negative thoughts और शंका रखने वाला व्यक्ति बहुत मेहनत करने पर भी अपनी वांछित सफलता के प्रति आशंकित रहता है ।


अपनी इच्छा शक्ति मजबूत रखे


नकारात्मक सोच negative thoughts ही व्यक्ति की उन्नति के मार्ग में बड़ा पत्थर बनकर खड़ी हो जाती है , जिसे व्यक्ति हटा नहीं पाता और अपने रास्ते बदलना चाहता है , लेकिन यही नकारात्मक व हीन भावना उसकी उन्नति के हर मार्ग पर बड़ा अवरोध बनकर खड़ी होती है और वह अपने प्रति यकीन करने लगता है कि जिंदगी में वह कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता ।

जबकि ऐसा नहीं है । इस संसार में कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह के कार्य को कर सकता है । बस , उसे करने का साहस , प्रबल इच्छाशक्ति व दृढ विश्वास होना चाहिए । यह प्रबल इच्छाशक्ति , दृढ़ विश्वास ही उसे वह सकारात्मक सोच व आंतरिक प्रेरणा प्रदान करते हैं , जिससे वह अपने मार्ग में आने वाली हर बाधा को दूर करता है ।

अपने कार्य को सही तरीके से करे
कार्य में सफलता पाने के लिए व्यक्ति को उसमें बिना सोचे – समझे लगे रहने की नहीं , बल्कि अपनी क्षमताओं का सही तरीके से उपयोग करने की जरूरत है । यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि जो व्यक्ति जितना सकारात्मक एवं अपनी क्षमताओं का सही नियोजन करेगा ,

वह उतना ही प्रसन्नमुख , उत्साही , आत्मविश्वासी , रचनात्मक , दूरदर्शी , चुनौतियों को स्वीकारने वाला और सफल व्यक्ति होगा । ऐसे व्यक्ति पर हर कोई भरोसा करेगा ।


सकारात्मक लोगो के संपर्क में रहे


सकारात्मक व्यक्ति ही निराश व्यक्तियों के अँधेरे मन में प्रकाश की किरण पहुँचा सकते हैं , उनकी नकारात्मक सोच को क्षणभर के लिए दूर करके सकारात्मक सोच दे सकते हैं ।यह क्षणभर की सकारात्मक सोच भी उनके लिए सफलता का द्वार बन सकती है ; क्योंकि यह बहुत प्रभावशाली होती है ।

थोड़ी – सी सकारात्मकता , वर्षों से मन – मस्तिष्क पर छाई हुई नकारात्मकता के कुहासे को दूर कर देती है , यही इसका प्रभाव है । अतः सकारात्मकता अपनाने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को ऐसे लोगों की संगत में रहना चाहिए , जिनकी सोच सकारात्मक हो और जो नकारात्मकता से परहेज करते हों क्योंकि संगति का असर व्यक्ति के ऊपर सबसे पहले होता है । अतः नकारात्मक सोच Negative Thinking रखने वाले व्यक्तियों से दूर ही रहना चाहिए , उनका साथ कभी नहीं करना चाहिए ।


अच्छे साहित्य और महापुरुषों की जीवनी पढ़े


अगर व्यक्ति को अच्छे लोगों का संग – साथ नहीं मिलता है तो उसे महापुरुषों की जीवनियों , अच्छे साहित्यों को पढ़ना चाहिए और उनका चिंतन – मनन करना चाहिए । स्वाध्याय करना तो हर व्यक्ति के लिए लाभदायक है , क्योंकि इससे नए – नए विचार मिलते हैं और व्यक्ति का ज्ञानतंत्र विकसित होता है । इसके अतिरिक्त व्यक्ति को भगवान पर भरोसा रखना चाहिए ।


अपनी विपतियो को सकरात्मक रूप से ले


जिंदगी से निराश होने वाले व्यक्ति सबसे पहले भगवान को कोसते हैं और उसे गालियाँ देते हैं ; जबकि हकीकत यह है कि भगवान कभी किसी को निराश नहीं करते , वे हर व्यक्ति के धैर्य व साहस की परीक्षा लेते हैं , उसे कष्ट में डालकर । भगवान हर व्यक्ति के जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर देते हैं , जो उसके विकास के लिए सर्वोत्तम होती हैं , लेकिन उस व्यक्ति की नजर में वह परिस्थिति बड़ी भारी विपत्ति होती है ।

इस विपत्ति को यदि वह व्यक्ति सकारात्मक रूप से ले और अपनी क्षमताओं का सदुपयोग करते हुए पार करे तो निश्चित रूप से वह अपने अंदर छिपी हुई रचनात्मक शक्तियों से अवगत हो सकेगा । इसलिए अगर कोई व्यक्ति ईश्वर या भगवान को न मानता हो तो उसे अपना एक भगवान बना लेना चाहिए और उससे अपने मन की हर बात कहकर समाधान तलाशना चाहिए ।


संघर्ष जरुरी है


यदि भगवान व्यक्ति के जीवन में ऐसी व्यवस्था कर देता है कि उसका जीवन बिना अवरोधों के सरलतापूर्वक चलता रहे , तो वह पंगु बन जाएगा । संघर्ष व्यक्ति के जीवन – विकास के लिए बहुत जरूरी है और इन संघर्ष के पलों से जूझने के लिए सकारात्मक सोच व विवेकशक्ति का होना भी जरूरी है अन्यथा जिंदगी में आने वाले उतार – चढ़ाव उसे भटका सकते हैं ।

अत : व्यक्ति को भगवान पर अटल विश्वास रखते हुए सकारात्मकता को अपनाना चाहिए और अपनी क्षमताओं का सुनियोजन करना चाहिए ।

उम्मीद करते है इस लेख से नकरात्मक सोच को दूर कैसे करे – नेगेटिव सोच से छुटकारा पाने के तरीके को काफी अच्छे से समझा होगा , आशा करते है , आपकी मनोकामना पूर्ण हो

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Bhaskar Singh

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