Positive Kaise Rahe – हमेसा पॉजिटिव रहने के तरीके

Positive Kaise Rahe – हमेसा पॉजिटिव रहने के तरीके

Positive Kaise Rahe हर व्यक्ति के सोचने का अपना एक तरीका होता है । अपनी इसी सोच के कारण हर व्यक्ति दूसरे से भिन्न होता है और अलग ढंग से कार्य करता है । सोच में दूसरों से समानता भी हो सकती है , लेकिन जीवन जीने व कार्य करने के ढंग में सबमें भिन्नता होती है , इसी कारण हर व्यक्ति मौलिक होता है । उसमें कुछ मौलिक गुण होते हैं , जिनके कारण वह विशेष होता है ।

सोच – विचार की कला एक नदी की तरह हर व्यक्ति में प्रवाहित होती है , लेकिन सोच में नकारात्मकता का घुलना नदी में गंदे नाले के घुलने के समान होता है , जो नदी के पानी को मटमैला व प्रदूषित कर देता है और साथ ही ऐसा पानी नुकसानदायक भी होता है । ठीक इसी तरह सोच में नकारात्मकता का प्रवेश होने पर व्यक्ति की चिंतन करने की प्रक्रिया दूषित हो जाती है ।

जीवन में नकारात्मकता घने अँधेरे धुएँ की तरह होती है , जिसके कारण हमें आगे का रास्ता साफ – साफ नजर नहीं आता और इसी कारण हमारा चिंतन व हमारे दृष्टिकोण के नकारात्मक होने पर हम परेशान हो जाते हैं , उदास हो जाते हैं , निराश हो जाते हैं ।

Positive Kaise Rahe – हमेसा पॉजिटिव रहने के तरीक

जीवन में आगे रास्ते हो सकते हैं , जीवन में कोई उम्मीद हो सकती है – हम तब भी यह नहीं सोच पाते ; जबकि सकारात्मकता जीवन में उस प्रकाश की तरह होती है , जो हमें सब कुछ स्पष्ट तौर पर दिखाती है और साथ ही हमें वे राहें भी दिखाती है , जो हमारी दृष्टि से ओझल होती हैं । सकारात्मकता के प्रकाश में व्यक्ति को जीने की उम्मीद मिलती है तथा उसके जीवन में रचनात्मकता नए रूप में उभरती है ।

सकारात्मकता के कारण व्यक्ति के उत्साह व उमंग में वृद्धि होती है और सकारात्मकता का बल होने पर व्यक्ति जीवन में निडर होकर आगे बढ़ता है और दूसरों को भी आगे बढ़ाता है ।

जीवन में जब चहुँओर नकारात्मकता व निराशा का वातावरण हो , तब जीने की सिर्फ एक ही राह बचती है और वह है सकारात्मक सोच की ।

नकरात्मक सोच से दुरी बरते


अगर जीवन में सकारात्मक सोच नहीं है , तो व्यक्ति आशा व उम्मीद करना भी छोड़ देता है और नकारात्मकता व निराशा के आगे विवश होकर अपने घुटने टेक देता है । फिर व्यक्ति वही करता है , जो नकारात्मकता उससे करवाती है और नकारात्मकता का कार्य करने का ढंग सदैव विध्वंसक व विनाशकारी ही होता है ।

यही कारण है कि जीवन में , सोच में नकारात्मकता हावी हो जाने पर मनोरोग बढ़ने लगते हैं और इस सोच के कारण कई लोग आत्महत्या करने पर विवश हो जाते हैं ; क्योंकि नकारात्मकता का दंश व्यक्ति को इतना विवश व बेचैन कर देता है कि वह अपने इस जीवन से ही छुटकारा चाहता है ।

व्यक्ति यह सोचता है कि मर जाने के उपरांत शायद उसे मानसिक घुटन , पीड़ा व बेचैनी से राहत मिलेगी । हकीकत में ऐसा होता नहीं है ; क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार – व्यक्ति मरते समय जिस मानसिक अवस्था में होता है , वही उसकी गति होती है ।

इसीलिए जीवन में सकारात्मक चिंतन होना जरूरी है । हमारे शुभचिंतक भी हमें सदैव सकारात्मक सोच रखने की सलाह देते हैं और नकारात्मक सोचने पर हमें टोकते हैं ।

सकरात्मक सोचने की कोशिश करे


मनोचिकित्सकों का भी यह कहना है कि सकारात्मक सोच रखने वालों को नकारात्मक सोच रखने वालों की तुलना में सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है । विद्वान पुरुष कहते हैं कि एक विनाशकारी व्यक्ति को हर अवसर में कठिनाई दिखती है तो वहीं एक आशावादी व्यक्ति को हर कठिनाई में अवसर दिखता है ।

सकारात्मक सोच व्यक्ति के तन व मन , दोनों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाती है । ऐसी सोच रखने से न केवल अपने जीवन को संतुलित रखने में मदद मिलती है , बल्कि इसके कारण हमारे प्रत्येक दिन के अनुभव ज्यादा सुखद बन पाते हैं ।

इसके कारण व्यक्ति के जीवन में लचीलापन आता है , वह जीवन में बदलाव के लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहता है और ढर्रे के जीवन से अलग हटकर अपने जीवन में कुछ नया करता है , जो उसे संतोष व सुकून देता है । बस , जरूरत है तो अपने मन में आने वाले नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदलने की और

इसके लिए हमें विचारों की प्रकृति को पहचानना आना चाहिए और हमें अपने मन में आने वाले विचारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए ; क्योंकि जब हम अपने सकारात्मक विचारों को पहचान पाएँगे , तभी मन में प्रवेश करने वाले नकारात्मक विचारों को चुनौती दे सकेंगे ।

जिस तरह घर का दरवाजा खोलते ही बाहर की धूल , हवा आदि घर में स्वतः ही प्रवेश करने लगते हैं , लेकिन यदि घर के दरवाजे पर ही जाली लगी हो तब उनके प्रवेश की संभावना कम हो जाती है , ठीक इसी तरह मन की खिड़की खोलने से पहले उसके ऊपर सकारात्मक सोच की जाली लगा देनी चाहिए , ताकि नकारात्मक विचार यों ही हमारे मन में प्रवेश न कर सकें ।

यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन ने विचारों पर एक शोध किया और यह पाया कि हमारे दिमाग में आमतौर पर एक दिन में करीब 50 हजार विचार आते हैं । चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 70 से 80 % विचार नकारात्मक होते हैं ।

नकारात्मक विचारों को हम सकारात्मक कैसे बनाएँ ?


अब सवाल यह उठता है कि नकारात्मक विचारों को हम सकारात्मक कैसे बनाएँ ? मन में विचारों का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । विचार सबके मन में आते हैं , लेकिन विचार उसी के मान्य होते हैं व महान होते हैं , जो अर्थपूर्ण हों , जिनका अपना कोई अस्तित्व हो ।

इसलिए अर्थपूर्ण विचारों के लिए जरूरी है कि हम नई पुस्तकें पढ़ें , अच्छे लोगों से मिलें , उनके विचारों व उनके अनुभवों को सुनें , अपने : इष्टदेव के प्रति आस्था , विश्वास व निष्ठा रखें , अपने व्यस्त जीवन में थोड़ा – सा समय ध्यान व योग के लिए अवश्य निकालें ।

ऐसा करने से व्यक्ति नए व अच्छे विचारों के संपर्क में आता है और इन विचारों का प्रभाव भी उसके जीवन में देखने को मिलता है ।

नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदलने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में भी थोड़ा – सा बदलाव करने की जरूरत होती है ।

इसके लिए हमें अपना हर काम खुश रहकर करना चाहिए ; क्योंकि खुश रहने से हमारा मन व हमारे आस – पास का वातावरण हलका होता है और ऐसे वातावरण में कार्य करने से भारी भरकम व बोझिल दिखने वाले काम भी रुचिकर लगने लगते हैं ।

मानव स्वभाव ऐसा है ही , जो जीवन में जरा भी गड़बड़ी होने पर नकारात्मक सोचने लगता है , घबराने लगता है , फिर अगर जीवन में कुछ बड़ी गड़बड़ी हो , तब फिर उसके होश ही गायब हो जाते हैं ।

इसलिए व्यक्ति को सकारात्मक सोच के दायरे में रहने का इतना अभ्यास करना चाहिए कि जरा – सी भी नकारात्मकता उसे प्रभावित न करने पाए और बड़ी – से – बड़ी नकारात्मकता के अँधेरे को चीरकर भी वह आगे बढ़ जाए ।

सकारात्मक सोच की कला व्यक्ति को उस स्पंज की तरह बना देती है , जिससे टकराकर नकारात्मक सोच उसे चोटिल नहीं कर पाती है और न ही उसमें स्थायी रूप से प्रवेश कर पाती है , इसलिए हमें जीवन में अपनी चिंतनशैली , सोच व दृष्टिकोण को सदैवं सकारात्मक रखना चाहिए । .

उम्मीद करते है इस लेख से Positive Kaise Rahe – हमेसा पॉजिटिव रहने के तरीके को काफी अच्छे से समझा होगा , आशा करते है , आपकी मनोकामना पूर्ण हो



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Bhaskar Singh

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