
Smaran shakti Kaise Badhaye – स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाये

Smaran shakti Kaise Badhaye स्मरणशक्ति मानवीय मस्तिष्क की एक ऐसी अद्भुत क्षमता है , जिसके आधार पर व्यक्ति सीखता है , अनुभव प्राप्त करता है और अपने जीवन विकास के लिए प्रयास करता है । यह सच है कि मनुष्य की स्मरण शक्ति की एक सीमा है । वह अपने वर्तमान जन्म की बातें ही याद -रख पाता है ,
विगत जन्मों को स्मरण नहीं कर पाता । -लेकिन कुछ ऐसे उदाहरण यदा – कदा सामने आ जाते हैं , जो यह दरसाते हैं कि व्यक्ति को अपने पूर्वजन्म की बातें भी याद रहती हैं , वह उनका भी स्मरण कर पाता है ।
लेकिन प्रायः व्यक्ति इसी जन्म की बातों व घटनाओं का कम या ज्यादा मात्रा में स्मरण कर पाते हैं , पूर्वजन्म की बातें तो प्रायः भूली – बिसरी ही रहती हैं । स्मरणशक्ति के मामले में किसी – किसी व्यक्ति की स्मरणशक्ति बहुत तीक्ष्ण होती है ।
वे घटनाओं को हू – बहू दोहरा लेते हैं , याद कर लेते हैं । लेकिन किसी – किसी व्यक्ति की स्मरणशक्ति कमजोर होती है , वे घटनाओं को ठीक से याद नहीं कर पाते और जल्दी भूल जाते हैं । याद करने के मामले में किसी को घटनाएँ अच्छे से याद रहती हैं तो किसी को तथ्य याद रहते हैं तो किसी को आँकड़े अच्छे से याद रहते हैं ।
Smaran shakti Kaise Badhaye – स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाये
किसी की स्मरणशक्ति किसी क्षेत्र विशेष में प्रगाढ़ होती है तो किसी की स्मृति सामान्य विषयों में प्रगाढ़ होती है । हम जो जीवन जी रहे हैं , जो हमारे रिश्ते – नाते हैं , वो सब स्मरणशक्ति के कारण ही हैं ।
एकाग्रता बनाये रखे
स्मृति – क्षमता बढ़ाने का एक कारगर तरीका है एकाग्रता । किसी भी बात को याद करने के लिए विषय वस्तु पर पूरी तरह से एकाग्र होने की जरूरत है ।
जब हम किसी जगह एकाग्र होते हैं , तो अपने ध्यान को भटकने नहीं देते और अच्छे से कार्य कर पाते हैं । एकाग्र होकर ध्यानपूर्वक किए गए कार्य अपना अच्छा परिणाम देते हैं और उन्हें करने में भी आनंद आता है ।
अपनी रूचि का कार्य करे
जब हम अपनी रुचि का कोई कार्य करते हैं तो सहजता से हमारा ध्यान लग जाता है और हम एकाग्र हो जाते हैं , जैसे – जब हम कोई फिल्म देखते हैं या किसी रोचक कहानी की किताब पढ़ते हैं तो सहजता से हमारा ध्यान उसमें लग जाता है , हमारा मन उसमें रम जाता है , फिर समय का ध्यान नहीं रहता ।
इस दौरान घटनाक्रम से लेकर पात्रों के नाम और कहानी आदि सब कुछ हम सहजता से याद कर लेते हैं । वास्तव में जब हम मन से किसी कार्य को करते हैं , फिल्म देखते हैं , उपन्यास पढ़ते हैं या अन्य किसी कार्य में रमे होते हैं तो हम उन्हें याद नहीं करते , बल्कि वे चीजें हमारे स्मृति – पटल से गुजर जाती हैं , हम उस वक्त सिर्फ उन्हें गहराई से देखते व समझते हैं और हमारे मन में उनका चित्रांकन हो जाता है ।
यह चित्रांकन इतना गहराई से होता है कि यदा – कदा वो बातें व दृश्य हमारे स्मृति – पटल पर आ जाते हैं और हम उनकी समीक्षा या चर्चा करते हैं । जब हम अचानक किसी पूर्व घटना या किसी नाम को भूल जाते हैं और उसे जबरदस्ती याद करने की कोशिश करते हैं तो हमारे दिमाग पर दबाव पड़ता है ।
दिमाग पर दबाव न पड़ने दे
जब दिमाग पर किसी तरह का दबाव पड़ता है तो उस समय उस घटना या व्यक्ति का नाम याद नहीं आता , लेकिन जैसे ही हम उसे याद करना बंद कर देते हैं या दूसरे कार्यों में लग जाते हैं , तो वह घटना अचानक हमें याद आ जाती है ; जबकि हम उसे याद नहीं कर रहे होते । कभी – कभी उससे संबंधित किसी घटना या संकेत से भी हम उसे सहजता से याद कर लेते हैं ।
नकरात्मक सोच से दूर रहे
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि मानसिक दबाव व नकारात्मक सोच हमारी स्मरणशक्ति को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं , वहीं सकारात्मक नजरिया हमारी याददाश्त को बढ़ाने में मदद करता है ।
मल्टी टास्किंग से बचे
एक ही समय पर अलग – अलग तरीके के कार्य करना भी स्मरणशक्ति को कम करता है । शोध अध्ययनों से यह ज्ञात हुआ है कि मल्टी टास्किंग ( कई कार्य एक साथ करना ) व्यक्ति की एकाग्रता को भंग करने के साथ – साथ उसकी याददाश्त में भी कमी लाते हैं । इसके कारण हम अपने सब कार्यों पर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पाते , जिससे हमें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
रटना नहीं सुनना सीखे
स्मृति – क्षमता कमजोर होने का एक कारण वातावरण में मौजूद अस्थिरता है , जिसके कारण स्मृति को पोषित करने वाले मानसिक तत्त्व ( शांति , स्थिरता , एकाग्रता ) व शरीर को पोषित करने वाले पोषक तत्त्व हमें अपने वातावरण से नहीं मिल पाते ।
प्राचीनकाल में याद करने , रटने की कोई प्रथा नहीं थी । केवल सुनकर ही ज्ञान का आदान – प्रदान हो जाता था । लेकिन आज सुनना तो दूर की बात , कई बार रटने से भी तथ्य हमारी स्मृति में नहीं आते । तात्पर्य यह है कि आज स्मृति के लिए रटने की प्रक्रिया भी पूरी तरह से कारगर नहीं है । रटा हुआ भी सही वक्त पर याद नहीं आता और समझने का ज्यादा प्रयास नहीं किया जाता ।
सकरात्मक सोचे
आज के समय व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव अधिक बढ़ गया है । ऐसी स्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण हमें स्थितियों से उबारता है और हमारी स्मृति को स्वस्थ रखने में मदद करता है । इस तरह स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए मन का सकारात्मक होना , मन का शांत व एकाग्र होना जरूरी है ।
पोषक तत्वों का सेवन करे
हमें अपनी एकाग्रता की प्रवृत्ति को विकसित करने की जरूरत है ; क्योंकि हम जितना अधिक एकाग्रता से किसी कार्य को करेंगे , उतना ही उसे याद रख पाएँगे । इसके साथ ही अपने खाद्य पदार्थों में उन पोषक तत्त्वों व औषधियों के सेवन की भी जरूरत है जो हमारे स्नायुतंत्र को सुदृढ़ बनाने में मदद करें , क्योंकि स्नायुतंत्र का संबंध हमारे मस्तिष्क से होता है और मस्तिष्क का संबंध स्मृति से है ।
स्मरण शक्ति से सम्ब्नधित जानकारी
सामान्यतौर पर 40 की उम्र पार करने के साथ – साथ स्मरण – क्षमता कम होती जाती है , लेकिन अनुभव अधिक होते हैं । एक बच्चे की जितनी स्मरण क्षमता होती है , एक वृद्ध व्यक्ति के पास उतनी नहीं होती ।
यही कारण है कि एक बच्चे के सीखने की क्षमता अन्य उम्र के लोगों से अधिक होती है । स्मृति कम होने पर हम याददाश्त बढ़ाने के तरह – तरह के उपाय करते हैं । स्मरणशक्ति हर कोई बढ़ाना चाहता है ; क्योंकि आज की भाग – दौड़ से भरी जिंदगी में हर किसी को लगता है कि उसकी याददाश्त कमजोर पड़ती जा रही है , फिर चाहे वह विद्यार्थी हो या नौकरीपेशा व्यक्ति या फिर घर में रहने वाला व्यक्ति ही हो ।
याददाश्त में कमी के कारण हर किसी के कार्य प्रभावित होते हैं और लोग अपनी इस कमी को दूर करना चाहते हैं एवं अपनी स्मरणशक्ति को बेहतर बनाना चाहते हैं ।
स्मरणशक्ति के कम होने के कई कारण हो सकते , जैसे – पर्याप्त नींद न लेना , थकान , तनाव , मादक द्रव्यों का सेवन आदि । कार्य का बहुत दबाव होना भी हमारी स्मृति – क्षमता को प्रभावित करता है । इससे हम अपने कार्यों को पूरे मन से , प्रसन्नतापूर्वक नहीं कर पाते और उन कार्यों के दौरान महत्त्वपूर्ण बिंदुओं व तथ्यों को भूल जाते हैं ।
उम्मीद करते है इस लेख से Smaran shakti Kaise Badhaye – स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाये को काफी अच्छे से समझा होगा , आशा करते है , आपकी मनोकामना पूर्ण हो
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